तारीफ़ें सबको अच्छी लगती है, बशर्ते तारीफ़ स्थाई हो। मुझे भी खुशी हुई जब बिहार में आयोजित होने वाले दो गुरूपर्व में सरकार के द्वारा किये गये व्यवस्था से खुश होकर देश विदेश के सिख श्रद्धालु बिहार की तारीफ करते नहीं थक रहे थे। हमें भी गर्व हो रहा है कि ये सिख श्रद्धालु राज्य और देश के बाहर बिहार के प्रति अच्छा संदेश दे रहे हैं। मेरे राज्य का नाम हो रहा है पुरी दुनिया में। पर सबसे ज्यादा खुशी हमें तब होती जब बिहार में उत्पादन क्षमता पुरे देश में अब्बल होता। हमें खुशी तब और होती जब मेरे राज्य का शिक्षा दर 99.9% होता। हमें और ज्यादा खुशी होती जब रोजगार व उच्च शिक्षा के लिए राज्य के युवा बाहर नहीं जाते। हमें और ज्यादा खुशी होती जब बिहार का कृषि पुरे देश में पहले पायदान पर होता। हमें और ज्यादा खुशी तब मिलती जब यहाँ के पर्यटन उद्योग से भारतीय मुद्रा के साथ साथ विदेशी डॉलर की आवक बढ़ जाती। हमें और ज्यादा खुशी मिलती जब उत्तर बिहार को बाढ़ की विभिषिका से मुक्ति मिल जाती। हमें और ज्यादा खुशी मिलती जब बिहार में नहरों का जाल बिछा दिया जाता। हमें और ज्यादा खुशी तब मिलती जब गुणवत...
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दिसंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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लोकतंत्र में जनता मालिक होता है नरेश अग्रवाल, कपिल सिब्बल, मणिशंकर अय्यर,दिग्विजय सिंह जैसे तमाम नेताओं के बयान पर पुरे देश में हाय तौबा मच जाती है। लोग अपना खुन जलाकर उनको आत्म संतुष्टि तक गाली देते हैं। मगर जिस बात पर हम देश की जनता को गौर करना चाहिए उस बात पर गौर नहीं करते हैं। कोई नेता ओछी बयानबाजी कर देता है और देश दो दिन उसकी माँ बहन एक कर फिर सो जाता है। जब सही वक्त आता है उसको उसकी औकात दिखाने की तो लगते हैं उसकी चिड़ौड़ी करने। हमारा कोई हक नहीं बनता है कि हम किसी नेता या मंत्री को गाली दें, क्योंकि हम ही हैं जो चंद फायदा देखकर या फिर जाति देखकर या क्षेत्रवाद देखकर या पार्टी देखकर इन जैसों को चुनकर भेजते हैं। जब हम ऐसे उठायगीर लोगों को चुनकर भेजेगें जिसको बोलने तक की तमीज नहीं है तो उससे अच्छे ब्यान की उम्मीद करना मूर्खता है। हम हर जगह ये कहते नहीं थकते हैं कि फलां नेता मंत्री चोर है, बेइमान है, भ्रष्ट है, घुसखोर है....... मगर कोई खुद पर कभी आत्म मंथन नहीं करता है कि जब वो नेता चोर, बेइमान, भ्रष्ट और घुसखोर ही था तो वोट देकर उसको भेजे ही क्यों? जब चुनाव आता है तो जनत...
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साठ साल की बिमारी मात्र तीन साल में दूर करना संभव नहीं है पुरी दुनियाँ में भारत और भारत के लोग बड़े अजीब किश्म के हैं। आजादी से अब तक की सरकारें बहुसंख्यक हिन्दुओं को लगातार धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैचारिक और व्यवस्था से वंचित रखा, इतना ही नहीं नैतिक, सामाजिक और मानसिक गिरावट भी लाती रही। 70 सालों तक देश के हिन्दू बड़े आराम से सब कुछ को ऐसे जी रहे थे जैसे सब ठीक ठाक चल रहा हो। दशकों बाद एक हिन्दुवादी इंसान को देश का बागडोर मिला तो मात्र तीन साल में ही कथित हिन्दुवादी लोगों को पेट में दर्द शुरू हो गया। आज हम देख रहे हैं कि कल तक देश, धर्म और मोदी का समर्थन करने वाले आज मोदी की कमियों की तलाशी ऐसे कर रहे हैं जैसे कबाड़ी के गोदाम में सूई की तलाश की जाती है। कोई तो ऐसी कमी मिल जाए कि मोदी और उसकी सरकार की जमकर आलोचना और बुराई की जाए। अरे भाई.... 70 सालों में कभी इतनी बेचैनी नहीं दिखी थी हिन्दुओं के अन्दर, जैसा आज देखने को मिल रहा है, सरकार का क्या कर्तव्य है और हिन्दुओं का क्या अधिकार है इस पहले तो कभी अपना दिव्य ज्ञान नहीं पेलते थे, जब सरकारें दोरंगी नीति अपनाकर हि...