साठ साल की बिमारी मात्र तीन साल में दूर करना संभव नहीं है  

पुरी दुनियाँ में भारत और भारत के लोग बड़े अजीब किश्म के हैं।
आजादी से अब तक की सरकारें बहुसंख्यक हिन्दुओं को लगातार धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैचारिक और व्यवस्था से वंचित रखा, इतना ही नहीं नैतिक, सामाजिक और मानसिक गिरावट भी लाती रही। 70 सालों तक देश के हिन्दू बड़े आराम से सब कुछ को ऐसे जी रहे थे जैसे सब ठीक ठाक चल रहा हो।
दशकों बाद एक हिन्दुवादी इंसान को देश का बागडोर मिला तो मात्र तीन साल में ही कथित हिन्दुवादी लोगों को पेट में दर्द शुरू हो गया। आज हम देख रहे हैं कि कल तक देश, धर्म और मोदी का समर्थन करने वाले आज मोदी की कमियों की तलाशी ऐसे कर रहे हैं जैसे कबाड़ी के गोदाम में सूई की तलाश की जाती है। कोई तो ऐसी कमी मिल जाए कि मोदी और उसकी सरकार की जमकर आलोचना और बुराई की जाए।
अरे भाई.... 70 सालों में कभी इतनी बेचैनी नहीं दिखी थी हिन्दुओं के अन्दर, जैसा आज देखने को मिल रहा है,
सरकार का क्या कर्तव्य है और हिन्दुओं का क्या अधिकार है इस पहले तो कभी अपना दिव्य ज्ञान नहीं पेलते थे,
जब सरकारें दोरंगी नीति अपनाकर हिन्दुओं को जलील करता था तब तो चूँ तक मुँह से नहीं निकलती थी।
उस वक्त कहाँ थे जब देश को दोगला (सेक्युलर) देश घोषित किया गया था।
उस वक्त कहाँ थे जब अल्पसंख्यक जैसे जहर को संविधान में समाहित किया जा रहा था।
उस वक्त कहाँ थे जब खुलेआम घोषित किया गया कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है।
उस वक्त कहाँ थे जब मुसलमानों के एक छोटी सी संस्था बफ बोर्ड को संवैधानिक दर्जा दिया गया था।

बातें बहुत है और निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। मैं हिन्दू हूँ और रहुँगा, समझौता, बदलाव और बेचैनी मेरे फितरत में नहीं है। मोदी सरकार से कुछ मिले या न मिले हम जैसे करोड़ों हिन्दुओं को, हम खुश हो जाते हैं जब गद्दारों,और विपक्षियों को बिलबिलाते देखते हैं, हम खुश हो जाते हैं जब हिन्दुत्व और राम के आस्तित्व पर सवाल उठाने वाले मंदिरों के घंटा बजाए चलते हैं। हम तब बहुत खुश हो जाते हैं जब हरामी सेक्युलर हिन्दू और देश के अन्दर बैठे पाकिस्तानी दलालों का विधवा विलाप और चित्कार सुनते हैं।
हम कुत्ते के प्रजाति के नहीं हैं जिसे हड्डी की चाहत है।
हम जातिवाद करने वाले नहीं हैं जो गलत कर्मों के बाद भी उसका समर्थन करें।
हम इंसान हैं सम्मान के साथ सिर उठाकर चलने वाला, हम हर उस वजह को दुत्कार देते हैं जो मेरे स्वाभिमान को चूर करने की वजह बने।

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