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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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आज जो मैं लिखने जा रहा हूँ वो बिलकुल सच्ची घटना पर आधारित है। मेरे पास अलग अलग लोग अपनी समस्या को लेकर आते हैं। उन समस्याओं को जानने के बाद अनायास मन एक सवाल उठता है कि क्या ऐसा भी होता है?? कभी कभी हम नूतन कहानियाँ जैसी पत्रिकाओं में पढ़ते थे तो सोचता था कि ये किताब वाले कहानी गढकर लिख देते हैं। पर जब वास्तविक जीवन में उन घटनाओं से दो चार होना पडता है तब लगता है वो पत्रिकाएँ सही थी। प्यार करना गुनाह नहीं है पर हमारे भारतीय संस्कृति और समाज को ध्यान में रखते हुए ही ठीक लगता है। बदलते समय में कोई भी युवा पीढ़ी इससे अछुता नहीं है। आज की क्या... बीस तीस साल पहले भी इससे कोई अछुता नहीं रहा है। अन्तर बस इतना ही है कि पहले सार्वजनिक नहीं होता था और वक्त के हिसाब से चलते थे। कोई अपने प्यार को अंजाम दे देते थे तो कोई लोकलाज और पारिवारिक सम्मान के चलते अपने प्यार की कुर्बानी दे देते थे। मगर आज ऐसा नहीं है। आज प्यार में गोपनियता लगभग खत्म सी होती जा रही है। अब सवाल ये है कि जिनके प्यार परवान नहीं चढ़े और उनकी सादी कहीं अन्यत्र हो जाती है तो क्या हम वर्तमान से समझौता करें या अपने प्यार के...
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उपेक्षा के पिंजरे को तोड़ने के लिए बेताब हिन्दूत्व पिछले चार सालों में जिस तरह से देश में  हिन्दुत्व शक्ति बढ़ी है या देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं में हिन्दुत्व के प्रति जागरूकता आई है, उससे यही लगता है कि आने वाले समय में देश की दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभायेगी। इसका मुख्य वजह देश में बहुमत से बनी भाजपा की सरकार है। हलांकी ऐसा नहीं है कि पहले भाजपा की सरकारें नहीं बनी थी। बनी थी पर उन सरकारों को न बहुमत थी और न हिन्दुवादी चेहरा, जिसके नेतृत्व में देश के हिन्दुओं का मनोबल बढ़े। अब सबसे बड़ी सवाल है कि आखिर हिन्दू इतनी  उत्साहित क्यों हैं। क्यों आज हर हमले का मजबूती से प्रतिकार कर रहे हैं। क्यों हिन्दुओं और हिन्दुत्व के खिलाफ उठने वाली हर आवाज का जबाब दृढता दे रहे हैं। क्यों वो अपने अधिकारों को के प्रति संजिदा हो गये हैं। इन सब सवालों के जवाब के लिए हमें अपने इतिहास और धार्मिक विचारधाराओं के मान्यताओं पर जाना होगा। सबसे पहले हम सनातन के उन संस्कारों की बात करते हैं जिनमें कहा गया है कि पुरी पृथ्वी, पृथ्वी पर निवास करने वाले हर सजीव और निर्जीव में परमात्मा का निवा...

कोलकाता का माँ काली दर्शन

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ये तस्वीर शायद कोलकाता के उस गली की है जिस गली से होकर कोलकाता के मशहूर काली मंदिर को जाता है। काली मंदिर तक पहुँचने से पहले इनकी नजरों से होकर गुजरना पड़ता है। ये वो बदनाम गली हैं जहाँ देशी विदेशी सभी तरह की वो वेश्याएं सुबह से लेकर रात तक सज धजकर ग्राहक का इंतजार करती रहती है और हर आने जाने वाले पुरूषों को अपनी ओर बुलाने का इशारा भी करती है। एक बार एक कार्य से कोलकाता जाने का मौका मिला तो सोचा माँ काली का दर्शन भी कर लिया जाए। मगर जैसे ही इस गली से होकर जाना हुआ और इन महिलाओं और लड़कियों की हरकतों को देखकर समझते देर नहीं लगी कि ये जिस्म की मंडी है और अगर माता का दर्शन करना है तो इस नर्क से होकर ही जाना होगा। मैने माता को हाथ जोड़कर माफी मांगा और वापस आ गये। मैने ये बातें इसलिए की कि तस्वीर देखकर गुजरे वक्त की यादें ताजा हो गई। इस तस्वीर को देखकर मैं हमेशा सोचता हूँ कि आखिर यहाँ महिलाएँ या लड़कियाँ आती कहाँ से है, कैसे आती है, कौन लाता है, यहाँ आने का कोई मकशद होता है या मजबुरी। बहुत देर मंथन करने के बाद हमें महसूस हुआ कि इन महिलाओं और लड़कियों में ज्यादातर धोखे से लाई जाती है और...