आज जो मैं लिखने जा रहा हूँ वो बिलकुल सच्ची घटना पर आधारित है। मेरे पास अलग अलग लोग अपनी समस्या को लेकर आते हैं। उन समस्याओं को जानने के बाद अनायास मन एक सवाल उठता है कि क्या ऐसा भी होता है?? कभी कभी हम नूतन कहानियाँ जैसी पत्रिकाओं में पढ़ते थे तो सोचता था कि ये किताब वाले कहानी गढकर लिख देते हैं। पर जब वास्तविक जीवन में उन घटनाओं से दो चार होना पडता है तब लगता है वो पत्रिकाएँ सही थी। प्यार करना गुनाह नहीं है पर हमारे भारतीय संस्कृति और समाज को ध्यान में रखते हुए ही ठीक लगता है। बदलते समय में कोई भी युवा पीढ़ी इससे अछुता नहीं है। आज की क्या... बीस तीस साल पहले भी इससे कोई अछुता नहीं रहा है। अन्तर बस इतना ही है कि पहले सार्वजनिक नहीं होता था और वक्त के हिसाब से चलते थे। कोई अपने प्यार को अंजाम दे देते थे तो कोई लोकलाज और पारिवारिक सम्मान के चलते अपने प्यार की कुर्बानी दे देते थे। मगर आज ऐसा नहीं है। आज प्यार में गोपनियता लगभग खत्म सी होती जा रही है। अब सवाल ये है कि जिनके प्यार परवान नहीं चढ़े और उनकी सादी कहीं अन्यत्र हो जाती है तो क्या हम वर्तमान से समझौता करें या अपने प्यार के...