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पसंद आया हो तो ऐसी कहानी फिर से पाने के लिए जरूर इस शायरी अंदाज़ page को like करे.... पूरा एक बार जरूर पढ़ें एक   हसीन   लडकी राजा  के  दरबार   में डांस   कर  रही   थी... ( राजा   बहुत   बदसुरत   था )  लडकी   ने   राजा   से   एक  सवाल   की  इजाजत  मांगी . राजा   ने  कहा ,                      " चलो  पुछो ." . लडकी   ने   कहा ,    "जब    हुस्न   बंट   रहा   था       तब   आप   कहां  थे..?? . राजा   ने   गुस्सा   नही  किया बल्कि मुस्कुराते   हुवे   कहा   ~  जब   तुम   हुस्न   की        लाइन्   में...
आज जब सोशल मीडिया पर नजर डाला तो सिर्फ बचपन दिखा। कहीं भूखा-नंगा,मजदूरी करता, भीख मांगता, कहीं खुद की और छोटी बहन का भूख मिटाता, कहीं बिमार माँ का आंसु पोछता तो कहीं दवा के अभाव में अंतिम सांसें गिनता तो कहीं बचपन की मौत पर कलेजा चिड़ती माँ की चित्कार...... और दूसरी तरफ नेहरू टाईप सोने चांदी की चम्मच मूँह में लेकर पैदा हुआ हंसता, खिलखिला, तन के चिथड़ों पर अट्टाहस करता बचपन........ इन्हीं दो परिस्थितियों के द्वंद में हम हर वर्ष बचपन को जीते हैं, गुजारते हैं, और एक ठंडी आह भर कर बचपन की दुनिया में खो जाते हैं.... काश..... वो दौर पुन: लौटकर आता।....... काश..... काश......!!!!!
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पूरे देश में सिमटती जा रही कांग्रेस पार्टी के युवराज ने जिस प्रकार मंदिर मंदिर मत्था टेकने का स्वांग रचना शुरू किया है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि नौ सौ चूहे खाकर कांग्रेस चली मंदिर पूजने। भारत में एक बहुप्रचलित कहावत है - ‘जैसी बहे बयार पीठ जब तैसी कीजै’ ! कुर्सी की खातिर तुष्टीकरण कांग्रेस के स्वभाव में ही है ! अब तक अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के माध्यम से कुर्सी पाती आ रही कांग्रेस को मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद समझ में आ गया कि उसकी इस नीति के कारण देश का बहुसंख्यक हिन्दू उससे नाराज हो रहा है ! बस फिर क्या था, कांग्रेस ने आनन फानन में यू टर्न लेने में देर नहीं की और हिन्दूत्व की राह पर कदम बढ़ा दिए ! कल तक राम के अस्तित्व को नकार कर उन्हें काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव ने नर्मदा यात्रा शुरू कर दी तो वर्तमान उपाध्यक्ष और भावी अध्यक्ष ने गुजरात के मंदिरों की सीढियों पर मत्था टेकना शुरू कर दिया ! महासचिव तो वे ही हैं, जिन्होंने हिन्दू आतंकवाद शब्द ईजाद किया था ! स्मरणीय है कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने हिन्दू धर्म को भारत मे ही नही पूरी दुनिया मे बदन...
भारत में कई जाति और वर्ण के लोग निवास करते हैं और सबका अपना अपना इतिहास है.... चाहे अच्छी हो या बुरी। मगर आजादी के बाद इस देश में सबसे ज्यादा अपमानित होने वाला जाति बनकर रह गया है #राजपूत। आर्थिक, सामाजिक, संवैधानिक, ऐतिहासिक, राजनैतिक और मनोरंजन के माध्यमों के द्वारा लगातार राजपूतों पर हमला होता आ रहा है। फिल्म "रानी पद्मावती" कोई नई विवाद नहीं है। इसके पहले भी कई फिल्में बनी जिसमें राजपूतों और उसके इतिहास को तोड़ मरोर कर दिखाया गया जिससे राजपूत शर्मिंदा हो। जब इतिहास और भी जातियों और मुसलमानों की भी है तो सिर्फ राजपूतों और उसके इतिहास पर ही उपहास उड़ाने वाली फिल्में क्यों बनती है। कहीं न कहीं ये बहुत बड़ी साजिश है अपने ही देश में बाकि जातियों से अलग थलग करने और राजपूतों के आस्तित्व को समाप्त करने की। और इस साजिश का वो हिन्दू भी पुरी शिद्दत से मौन समर्थन कर रहे हैं जो दिनरात, सोते जागते हिन्दू, हिन्दुत्व और भगवे की माला जाप करते रहते हैं।