आज जब सोशल मीडिया पर नजर डाला तो सिर्फ बचपन दिखा। कहीं भूखा-नंगा,मजदूरी करता, भीख मांगता, कहीं खुद की और छोटी बहन का भूख मिटाता, कहीं बिमार माँ का आंसु पोछता तो कहीं दवा के अभाव में अंतिम सांसें गिनता तो कहीं बचपन की मौत पर कलेजा चिड़ती माँ की चित्कार...... और दूसरी तरफ नेहरू टाईप सोने चांदी की चम्मच मूँह में लेकर पैदा हुआ हंसता, खिलखिला, तन के चिथड़ों पर अट्टाहस करता बचपन........ इन्हीं दो परिस्थितियों के द्वंद में हम हर वर्ष बचपन को जीते हैं, गुजारते हैं, और एक ठंडी आह भर कर बचपन की दुनिया में खो जाते हैं.... काश..... वो दौर पुन: लौटकर आता।....... काश..... काश......!!!!!
हिन्दू धर्म के पतन के कारण और निवारण :- ध्यान से पढ़ें, समझें और जीवन में उतारें |
हिन्दू धर्म के पतन के कारण और निवारण ध्यान से पढ़ें, समझें और जीवन में उतारें | क्योंकि जो गलती को ठीक करले उसे ही मनुष्य कहते हैं | हिन्दुओं के सभी प्रमुख गुणों को मुसलमान, ईसाई और बौद्धों ने अपनाया और संसार में छा गए और हिन्दू इन्हें त्याग कर बर्बाद होने की कगार पर हैं | 1) हम यज्ञोपवीत, उपनयन या जनेऊ करवा कर सात से ग्यारह वर्ष के बच्चों को गुरुकुल भेजते थे. . अब बंद है | दूसरी तरफ मुसलमान और ईसाई नियम से मदरसा व् मिशन स्कूल में पहले धर्म की शिक्षा देते हैं | मदरसे, मिशनरी स्कूल हजारों लाखों की संख्या में खुल गए | हिन्दूओं के बच्चे भी उसी में शौक से जा रहे हैं और सेकुलरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है | 2) प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी के लिए अनिवार्य गायत्री महामंत्र की त्रिकाल संध्या (सुबह, दोपहर, शाम तीनों समय जप-ध्यान) समाप्त | दूसरी तरफ उनकी पाँच वक्त की नमाज और रोज की प्रेयर शुरू | 3) सप्ताह में कम से कम एक दिन, पूजा, सत्संग, संगठन के लिए मंदिर जाना बंद | दूसरी तरफ उनका जुमे के दिन नमाज मस्जिद में, और Sunday prayer चर्च में शुरू | 4) साधू-संत-गुरु जनों का ...
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