पूरे देश में सिमटती जा रही कांग्रेस पार्टी के युवराज ने जिस प्रकार मंदिर मंदिर मत्था टेकने का स्वांग रचना शुरू किया है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि नौ सौ चूहे खाकर कांग्रेस चली मंदिर पूजने।
भारत में एक बहुप्रचलित कहावत है - ‘जैसी बहे बयार पीठ जब तैसी कीजै’ ! कुर्सी की खातिर तुष्टीकरण कांग्रेस के स्वभाव में ही है ! अब तक अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के माध्यम से कुर्सी पाती आ रही कांग्रेस को मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद समझ में आ गया कि उसकी इस नीति के कारण देश का बहुसंख्यक हिन्दू उससे नाराज हो रहा है ! बस फिर क्या था, कांग्रेस ने आनन फानन में यू टर्न लेने में देर नहीं की और हिन्दूत्व की राह पर कदम बढ़ा दिए ! कल तक राम के अस्तित्व को नकार कर उन्हें काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव ने नर्मदा यात्रा शुरू कर दी तो वर्तमान उपाध्यक्ष और भावी अध्यक्ष ने गुजरात के मंदिरों की सीढियों पर मत्था टेकना शुरू कर दिया ! महासचिव तो वे ही हैं, जिन्होंने हिन्दू आतंकवाद शब्द ईजाद किया था !
स्मरणीय है कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने हिन्दू धर्म को भारत मे ही नही पूरी दुनिया मे बदनाम करने के लिए कई षड्यंत्र किये ! यदि कांग्रेस पार्टी की हिंदुत्व विरोधी दास्तान लिखी जाए तो शायद पूरा दिन भी कम पड़ जाए ! जब भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग की जाती है तो कांग्रेस उसका सबसे पहले विरोध करती है, यूपीए सरकार के दौरान देश में स्कूली किताबों के माध्यम से हिन्दू धर्म के बारे में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है, मुसलमानों के प्रति विशेष प्रेम दर्शाने के चलते देश और हिन्दू धर्म की दुर्दशा के लिए जिम्मदार कांग्रेस पार्टी के कारण ही आजम खां और ओवेसी जैसे देशद्रोही का जन्म हुआ ! कांग्रेस पार्टी की हिंदुत्व विरोधी नीतियों के कारण ही आज देश के कई राज्यों में हिन्दुओं की आबादी अल्पसंख्यक हो चुकी है परन्तु फिर भी उन्हें उन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त नहीं हो पाया है, वहीँ दूसरी और अल्पसंख्यक कहे जाने वाले सम्प्रदाय इन राज्यों में बहुसंख्यक होते गए परन्तु इन्हें इन राज्यों में आज भी अल्पसंख्यकों का दर्जा प्राप्त है !
लेकिन कांग्रेस पार्टी की मजबूरी देखिये कि अपना खोया वजूद पाने के लिए कांग्रेस के नेपथ्य में हिंदुत्व की धुन सुनाई दे रही है ! कुर्सी की खातिर उसे ब्राह्मण वोट भी साधने हैं, मुसलमानों को भी साथ लेना है और दलितों के बीच घुसपैठ भी जरूरी है !
भारत में एक बहुप्रचलित कहावत है - ‘जैसी बहे बयार पीठ जब तैसी कीजै’ ! कुर्सी की खातिर तुष्टीकरण कांग्रेस के स्वभाव में ही है ! अब तक अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के माध्यम से कुर्सी पाती आ रही कांग्रेस को मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद समझ में आ गया कि उसकी इस नीति के कारण देश का बहुसंख्यक हिन्दू उससे नाराज हो रहा है ! बस फिर क्या था, कांग्रेस ने आनन फानन में यू टर्न लेने में देर नहीं की और हिन्दूत्व की राह पर कदम बढ़ा दिए ! कल तक राम के अस्तित्व को नकार कर उन्हें काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव ने नर्मदा यात्रा शुरू कर दी तो वर्तमान उपाध्यक्ष और भावी अध्यक्ष ने गुजरात के मंदिरों की सीढियों पर मत्था टेकना शुरू कर दिया ! महासचिव तो वे ही हैं, जिन्होंने हिन्दू आतंकवाद शब्द ईजाद किया था !
स्मरणीय है कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने हिन्दू धर्म को भारत मे ही नही पूरी दुनिया मे बदनाम करने के लिए कई षड्यंत्र किये ! यदि कांग्रेस पार्टी की हिंदुत्व विरोधी दास्तान लिखी जाए तो शायद पूरा दिन भी कम पड़ जाए ! जब भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की मांग की जाती है तो कांग्रेस उसका सबसे पहले विरोध करती है, यूपीए सरकार के दौरान देश में स्कूली किताबों के माध्यम से हिन्दू धर्म के बारे में इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है, मुसलमानों के प्रति विशेष प्रेम दर्शाने के चलते देश और हिन्दू धर्म की दुर्दशा के लिए जिम्मदार कांग्रेस पार्टी के कारण ही आजम खां और ओवेसी जैसे देशद्रोही का जन्म हुआ ! कांग्रेस पार्टी की हिंदुत्व विरोधी नीतियों के कारण ही आज देश के कई राज्यों में हिन्दुओं की आबादी अल्पसंख्यक हो चुकी है परन्तु फिर भी उन्हें उन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त नहीं हो पाया है, वहीँ दूसरी और अल्पसंख्यक कहे जाने वाले सम्प्रदाय इन राज्यों में बहुसंख्यक होते गए परन्तु इन्हें इन राज्यों में आज भी अल्पसंख्यकों का दर्जा प्राप्त है !
लेकिन कांग्रेस पार्टी की मजबूरी देखिये कि अपना खोया वजूद पाने के लिए कांग्रेस के नेपथ्य में हिंदुत्व की धुन सुनाई दे रही है ! कुर्सी की खातिर उसे ब्राह्मण वोट भी साधने हैं, मुसलमानों को भी साथ लेना है और दलितों के बीच घुसपैठ भी जरूरी है !

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