- कर्नाटक राजनीति के सह और मात के खेल में भाजपा ने कांग्रेस को राजनैतिक मात तो दे दी, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
कर्नाटक में नाटक तो दोनों ने किया। भाजपा भी और कांग्रेस-जेडीएस भी। सरकार तो कांग्रेस जेडीएस का ही बनना था। ये कांग्रेस जेडीएस भी जनता था और भाजपा भी जानता था। भाजपा ने कांग्रेस को नंगा करने के लिए तीन दिन नाटक किया तो कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों के खरीद फरोख्त का आरोप लगाकर बदनाम करने का नाटक किया। कांग्रेस ने अपने विधायकों को खुद ही छिपाकर भाजपा पर आरोप लगाया कि मेरे विधायकों को सौ सौ करोड़ में खरीद रहा है। जब सौ सौ करोड़ में विधायक बिक ही गया था तो तो फिर कांग्रेस जेडीएस ने सरकार कैसा बनाई।
इधर भाजपा ने सरकार बनाने का दाबा पेशकर कांग्रेसियों की बेचैनी बढ़ा दी। इसी आनन फानन में कांग्रेस ने एक नया इतिहास बना डाला। भारतीय राजनीति के इतिहास में बड़ी पार्टी छोटी पार्टी से समर्थन मांगता था, मगर कर्नाटक मामले में पहली बार 130 साल की पुरानी सरकार मात्र 38 सीट पाने वाले एक क्षेत्रीय पार्टी के आगे नतमस्तक हो गया सत्ता के लिए। भले ही कांग्रेसी माने या न माने, मगर ये सत्य है कि कांग्रेस के शाख पर बट्टा लगा है। भाजपा कांग्रेस को नीचले स्तर तक गिराना चाहती थी सो गिरा दी। एक तरफ एक क्षेत्रीय पार्टी के आगे नतमस्तक हुआ तो दुसरी तरफ सुप्रीमकोर्ट के उस जज के पास रोने गया, जिसके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाई थी। वहाँ भी कांग्रेस ने थूक कर चाटा। भाजपा तो अपने हर मकशद में कामयाब हो गया। कांग्रेस से नीचले स्तर की राजनीति करवाना था करवा लिया, जज के पास नाक रगड़वाना था रगड़वा लिया। खुद को खरीद फरोख्त से आजाद करना था कर लिया।
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