अपनी दुर्दशा के लिए सवर्ण खुद जिम्मेदार है राजपूत ब्राह्मण समाज सरकार को कोसकर भेदभाव का आरोप तो लगाते हैं पर कभी अपनी गिरेबां नहीं झांकते हैं। ये दोनों समाज किसी भी पार्टी के लिए न तो सौ फीसदी वोट करते हैं और न किसी एक पार्टी का समर्थन करते हैं। इन दोनों समाजों ने अपने वोट को राय का दाना बना रखा है..... दो मुट्ठी उसको, दो मुट्ठी उसको, दो मुट्ठी उसको। ये दोनों समाज कभी किसी एक पार्टी को एक मुस्त सौ फीसदी वोट नहीं किया है। यही वजह है कि सवर्ण समाज के नेता मंत्रियों को अपने ही समाज के वोटरों पर भरोसा नहीं है। इसीलिए वो कभी सवर्ण समाज के साथ खड़ा नहीं होता है। वो राजनीति करते हैं, लोकतंत्र में संख्या का महत्व होता है। संख्या कौन दे रहा है उसकी पुछ होती है। जिसके वोटों की संख्या ज्यादा होती है उसी के लिए सत्ता और विपक्ष दोनो खड़ा होता है। देश का मुसलमान और आरक्षित वर्ग हमेशा सौ फीसदी वोट कर अपने नेता को जिताता है। जबकि सवर्ण समाज के वोट की संख्या अधिक होने के बाद भी कभी किसी एक नेता या पार्टी के साथ खड़ा नहीं होता है... यही वजह है कि सवर्ण वोट कभी भरोसे के काबिल नहीं हुआ। देश का ...
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सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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कुछ सवर्णों को लगता है कि मैं सवर्ण होते हुए भी सवर्णों का विरोध कर रहा हूँ। बिलकुल करूँगा... क्योंकि मैं ढोंग नहीं करता। मुझे भी नफरत है आरक्षण और एससी एसटी कानुन से और साथ ही नोटा से भी। आज जो सवर्ण आरक्षण और एससी एसटी कानुन के आड में नोटा का समर्थन कर रहे हैं वो दरअसल ढोंग कर रहे हैं। मैं किसी भी समस्या का जड़ तलाश कर उसको खत्म करने की बात करता हूँ न कि डाल काटता हूँ। मै उन सवर्णों का साथ कभी नहीं दुँगा जो नोटा का समर्थन कर रहे हैं। नोटा दबाने की बात करने वाले सवर्णों से एक सवाल है कि क्या आरक्षण लागु होने वक्त सत्ता में सवर्ण नहीं था। जिस वक्त आरक्षण लागु किया जा रहा था उस वक्त चुपचाप रहकर नेहरू का तलवा चाटने वाले सवर्णों ने कभी सोचा था कि जिस आरक्षण को हम आज लागु होने दे रहे हैं वो भविष्य में हमारे आने वाली पीढीयों के लिए कितना घातक साबित होगा। उस वक्त न तो सत्ता में बैठा सवर्णों ने विरोध किया और न देशभर के सवर्णों ने। आज वही आरक्षण नासुर बन गया तो चीख रहे रहे हैं। आरक्षण का जहर तो हमारे सवर्णों ने ही हमारे समाज में घोला है। रही बात एससी एसटी कानुन की.... तो ये कानुन भी 1989 मे...
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जो सवर्ण भाई और मित्र बंधु नोटा नोटा चिल्ला रहे हैं उन्हें कुछ याद दिलाना चाहता हूँ और वो इन बातों पर जितना हो सके मंथन करें और तब बताएँ कि उनका नोटा का चुनाव सही है या मोदी का फैसला....! आप याद करो.... जब मोदी सरकार उत्तर पूर्वी भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को निकलने के लिए जब अभियान चलाना शुरू किया था तो ममता बनर्जी का बयान याद करें.... वो क्या बोलकर मोदी सरकार को धमकी दी थी कि देश में गृहयुद्ध छिड़ जायेगा। ममता बनर्जी के इस बयान के कुछ ही दिन बाद लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का बेटा चिराग पासवान ने एससी एसटी कानुन के संसोधन के खिलाफ क्या बोला था। शायद आप नोटा समर्थकों को याद नहीं होगा। चिराग पासवान ने कहा था कि अगर एससी एसटी कानुन के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ होगी तो देश में बबाल होगा जो शायद सरकार को संभालना मुश्किल हो जायेगा। मतलब अपरोक्ष रूप से ये भी धमकी ही था। उधर कांग्रेस की सह पर सर्वोच्च न्यायालय ने एससी एसटी कानुन में संसोधन को लेकर सरकार को अध्यादेश लाने की बात कही थी। अब मोदी सरकार के लिए "उगलो तो अंधा और निगलो तो कोढी" वाली बात हो गई थी। अब ऐसे मे...