जो सवर्ण भाई और मित्र बंधु नोटा नोटा चिल्ला रहे हैं उन्हें कुछ याद दिलाना चाहता हूँ और वो इन बातों पर जितना हो सके मंथन करें और तब बताएँ कि उनका नोटा का चुनाव सही है या मोदी का फैसला....!
आप याद करो.... जब मोदी सरकार उत्तर पूर्वी भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को निकलने के लिए जब अभियान चलाना शुरू किया था तो ममता बनर्जी का बयान याद करें.... वो क्या बोलकर मोदी सरकार को धमकी दी थी कि देश में गृहयुद्ध छिड़ जायेगा। ममता बनर्जी के इस बयान के कुछ ही दिन बाद लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का बेटा चिराग पासवान ने एससी एसटी कानुन के संसोधन के खिलाफ क्या बोला था। शायद आप नोटा समर्थकों को याद नहीं होगा। चिराग पासवान ने कहा था कि अगर एससी एसटी कानुन के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ होगी तो देश में बबाल होगा जो शायद सरकार को संभालना मुश्किल हो जायेगा। मतलब अपरोक्ष रूप से ये भी धमकी ही था। उधर कांग्रेस की सह पर सर्वोच्च न्यायालय ने एससी एसटी कानुन में संसोधन को लेकर सरकार को अध्यादेश लाने की बात कही थी।
अब मोदी सरकार के लिए "उगलो तो अंधा और निगलो तो कोढी" वाली बात हो गई थी। अब ऐसे में ये फैसला नहीं हो पा रहा था कि कानुन में बदलाव लाने के लिए अध्यादेश लाया जाए या उसको उसी हाल में छोड़ दिया जाए। मोदी सरकार जानता था कि अध्यादेश लाने के बाद दो बातें होना निश्चित था। पहला ये कि लोकसभा से तो पास हो जाता पर राज्यसभा में कांग्रेस कभी पास नहीं होने देती। वहीं संसोधन के लिए अध्यादेश लाते ही देश के राष्ट्रीय भिखाड़ी भीमटे पुरे देश में तांडव शुरू कर देता और उसको इस देश के गद्दार मुसलमान ही नहीं, ममता बनर्जी के पाले पोसे बांग्लादेशी भी पीछे साथ देने के नाम पर पुरे देश को जला देता। जैसा कि उसके पहले भारत बंद के नाम पर देशद्रोही भीमटों ने किया था। जरा सोचना और कल्पना करना कांग्रेस के जाल में फंसे नोटा समर्थकों।
इन्हीं सब को देखते हुए मोदी ने सवर्णों पर भरोसा किया और एससी एसटी कानुन को जैसे था उसी हाल में छोड़ देने की बात सर्वोच्च न्यायालय को कही। ये फैसला लेते हुए मोदी जानता था कि इस फैसले से देश के लिए दीमक बना भिखाड़ी भीमटे तो खुश हो जायेगें मगर सवर्ण समाज नाराज हो जायेगा.... पर मोदी को इस बात का पुरा भरोसा था कि सवर्ण समाज सरकार से नाराज और गुस्सा तो होगा पर इन देशद्रोही भीमटों और मुसलमानों की तरह देश में आग नहीं लगायेगा। सवर्ण समाज अपने देश के साथ गद्दारी नहीं करेगा और इसी भरोसे के साथ एससी एसटी कानुन को पूर्व की तरफ छोड़ दिया।
मोदी सरकार बहुत बड़ा रिश्क लेते हुए देश को गृहयुद्ध के नाम पर दंगाईयों और देशद्रोहियों के हाथों जलने से बचा लिया और देश का सवर्ण उसी हिन्दुवादी और राष्ट्रवादी मोदी सरकार के खिलाफ नोटा लेकर विरोध करने लगा उस देश के दुश्मन कांग्रेस के बहकावे में आकर।
जरा दिमाग पर जोर डालकर सोचने समझने की कोशिश करना भाईयों। जिस तरह हिन्दुस्तान के पड़ोसी देश हर पल आप पर घात लगाये बैठा है न... ठीक उसी तरह देश के अंदर भी इस मोदी सरकार के खिलाफ ही नहीं, बल्कि देश के तमाम हिन्दुओं पर भी देश के गद्दार घात लगाये बैठा है। बस हम आपकी और मोदी सरकार के एक छोटी सी गलतियों का इंतजार है। अब आपको तय करना है कि देश में आग लगाने वाले देशद्रोहियों को मौका देना है या मोदी सरकार को और मजबुत कर दोनों सदनो में ताकत देना है। इतना तो भरोसा करना पड़ेगा कि मोदी सरकार कभी ऐसे फैसले नहीं लेगा जिससे किसी को कोई परेशानी हो। विरोधी भविष्य जान रहा है इसीलिए मोदी सरकार के खिलाफ एड़ीचोटी की ताकत लगाये हुए हैं किसी तरह से सत्ता से एक हिन्दुवादी सरकार को हटाने के लिए....... मगर अफसोस है कि सवर्ण ही नहीं और भी ऐसे कई समाज हैं जो भविष्य को भांप नहीं रहे हैं।
आप याद करो.... जब मोदी सरकार उत्तर पूर्वी भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों को निकलने के लिए जब अभियान चलाना शुरू किया था तो ममता बनर्जी का बयान याद करें.... वो क्या बोलकर मोदी सरकार को धमकी दी थी कि देश में गृहयुद्ध छिड़ जायेगा। ममता बनर्जी के इस बयान के कुछ ही दिन बाद लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का बेटा चिराग पासवान ने एससी एसटी कानुन के संसोधन के खिलाफ क्या बोला था। शायद आप नोटा समर्थकों को याद नहीं होगा। चिराग पासवान ने कहा था कि अगर एससी एसटी कानुन के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ होगी तो देश में बबाल होगा जो शायद सरकार को संभालना मुश्किल हो जायेगा। मतलब अपरोक्ष रूप से ये भी धमकी ही था। उधर कांग्रेस की सह पर सर्वोच्च न्यायालय ने एससी एसटी कानुन में संसोधन को लेकर सरकार को अध्यादेश लाने की बात कही थी।
अब मोदी सरकार के लिए "उगलो तो अंधा और निगलो तो कोढी" वाली बात हो गई थी। अब ऐसे में ये फैसला नहीं हो पा रहा था कि कानुन में बदलाव लाने के लिए अध्यादेश लाया जाए या उसको उसी हाल में छोड़ दिया जाए। मोदी सरकार जानता था कि अध्यादेश लाने के बाद दो बातें होना निश्चित था। पहला ये कि लोकसभा से तो पास हो जाता पर राज्यसभा में कांग्रेस कभी पास नहीं होने देती। वहीं संसोधन के लिए अध्यादेश लाते ही देश के राष्ट्रीय भिखाड़ी भीमटे पुरे देश में तांडव शुरू कर देता और उसको इस देश के गद्दार मुसलमान ही नहीं, ममता बनर्जी के पाले पोसे बांग्लादेशी भी पीछे साथ देने के नाम पर पुरे देश को जला देता। जैसा कि उसके पहले भारत बंद के नाम पर देशद्रोही भीमटों ने किया था। जरा सोचना और कल्पना करना कांग्रेस के जाल में फंसे नोटा समर्थकों।
इन्हीं सब को देखते हुए मोदी ने सवर्णों पर भरोसा किया और एससी एसटी कानुन को जैसे था उसी हाल में छोड़ देने की बात सर्वोच्च न्यायालय को कही। ये फैसला लेते हुए मोदी जानता था कि इस फैसले से देश के लिए दीमक बना भिखाड़ी भीमटे तो खुश हो जायेगें मगर सवर्ण समाज नाराज हो जायेगा.... पर मोदी को इस बात का पुरा भरोसा था कि सवर्ण समाज सरकार से नाराज और गुस्सा तो होगा पर इन देशद्रोही भीमटों और मुसलमानों की तरह देश में आग नहीं लगायेगा। सवर्ण समाज अपने देश के साथ गद्दारी नहीं करेगा और इसी भरोसे के साथ एससी एसटी कानुन को पूर्व की तरफ छोड़ दिया।
मोदी सरकार बहुत बड़ा रिश्क लेते हुए देश को गृहयुद्ध के नाम पर दंगाईयों और देशद्रोहियों के हाथों जलने से बचा लिया और देश का सवर्ण उसी हिन्दुवादी और राष्ट्रवादी मोदी सरकार के खिलाफ नोटा लेकर विरोध करने लगा उस देश के दुश्मन कांग्रेस के बहकावे में आकर।
जरा दिमाग पर जोर डालकर सोचने समझने की कोशिश करना भाईयों। जिस तरह हिन्दुस्तान के पड़ोसी देश हर पल आप पर घात लगाये बैठा है न... ठीक उसी तरह देश के अंदर भी इस मोदी सरकार के खिलाफ ही नहीं, बल्कि देश के तमाम हिन्दुओं पर भी देश के गद्दार घात लगाये बैठा है। बस हम आपकी और मोदी सरकार के एक छोटी सी गलतियों का इंतजार है। अब आपको तय करना है कि देश में आग लगाने वाले देशद्रोहियों को मौका देना है या मोदी सरकार को और मजबुत कर दोनों सदनो में ताकत देना है। इतना तो भरोसा करना पड़ेगा कि मोदी सरकार कभी ऐसे फैसले नहीं लेगा जिससे किसी को कोई परेशानी हो। विरोधी भविष्य जान रहा है इसीलिए मोदी सरकार के खिलाफ एड़ीचोटी की ताकत लगाये हुए हैं किसी तरह से सत्ता से एक हिन्दुवादी सरकार को हटाने के लिए....... मगर अफसोस है कि सवर्ण ही नहीं और भी ऐसे कई समाज हैं जो भविष्य को भांप नहीं रहे हैं।
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