बिलकुल देश चिरकुट ही है राज भाई, हमे पता है जिस समय इस कामेंट को पढ़ रहे होंगे उस समय पुन: आपको लग रहा होगा कि हम गुस्से में है, मगर ऐसा कुछ नहीं है। रही बात देश के चिरकुट होने की तो जो मेरा तजुर्बा है और मैं जितना समझ सकता हूँ उतनी बता रहा हूँ। वैसे मैं भी मात्र बोर्ड पास हूँ और कुछ भी पढने लिखने का शौक हमेशा रहता है जिससे कुछ मेरी जिज्ञासा की भूख कम हो सके। तो बता रहा था कि पुरी दुनियाँ में इंसान कहीं भी रह सकता है, कमा सकता है और वहां बस भी सकता है। कई देश तो ऐसे हैं कि वहाँ की नागरिकता पाने में वर्षों गुजर जाता है और कई देश ऐसे भी हैं कि कई तरह के अग्नि परीक्षा देने के बाद नागरिकता मिलती है। नागरिकता मिल भी जाती है तो कई शर्तों और नियमों का पालन भी करना पड़ता है। मतलब हम या आप जिस देश में रहेगें, वहाँ के नियम कानुन का अक्षरश: पालन करना पड़ता है। उस देश में नागरिकता मिल भी जाती है तो वो दोयम दर्जे का होता है, मतलब देश के किसी भी सुविधा संपदा पर पहला हक उस देश के मूल निवासी का होता है। अब इतनी बात होने के बाद तो आप समझ ही गये होंगे कि धार्मिक मामलों में क्या नियम कानुन का पालन करना पड़ सकता है।
अब आइये इस चिरकुट और पुरी दुनियाँ के नमुना देश भारत में।
यहाँ विदेशी मूल के मुस्लिमों इसाईयों बिना किसी परेशानी के नागरिकता ही नहीं, पुरी सुविधा तक दे दी जाती है, वही हमारे ही देश के कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी की जिंदगी गुजारता है। यही एक ऐसा देश है जो अपने मूल नागरिकों को कुचल कर गैर देश के लोगों को अब्बल दर्जे की नागरिकता ही सिर्फ नहीं दी जाती है बल्कि उसे अपने मूल नागरिकों से ज्यादा सुविधा संपदा पर हक दे दिया जाता है। यही वो चिरकुट देश है जहाँ दोयम दर्जे वाला शान से बिना किसी रोकटोक के हर कर्म और कुकर्म करता है पर अपने ही देश के मूल नागरिक को किसी भी चीज के लिए मुँह ताकना पड़ता है, चिरोड़ी करना पड़ता है, सिफारिश करना पडता है। यही वो खिचड़ी देश है जहाँ दोयम दर्जे वाला पुरी सड़क जाम कर नमाज पढता है और मूल नागरिक को लाउडस्पीकर के आवाज का मानक तय कर बताया जाता है कि आप कितने डेसीबील तक बजा सकते हैं और कितनी देर।। यही वो गुलाम देश है जहाँ शिवाजी, महाराणा प्रताप, ज्योतिवा फूले, लाला लाजपत राय जैसे महापुरूषों के बताये रास्ते या उनके विचारों पर चलने की बजाय आज भी 80% अंग्रेजों के औलाद मार्क्स, लेनिन के विचारों से ग्रसित है।पुरी दुनियाँ में हर देश किसी न किसी धर्म से जाना जाता है पर यही वो एकलौता दोगला देश है जिसके धर्म का कोई अता पता नहीं है। न ये मुस्लिम देश है और न ये हिन्दू देश।और पता है न जिसका कोई बाप न हो तो अनाथ कहलाता है और जिसके कई बाप हो उसको दोगला कहा जाता है।पुरी दुनियाँ में है कोई ऐसा देश जहाँ दोयम दर्जे का नागरिक के लिए अलग संविधान, नियम कानुन का अधिकार दिया जाता है, पर भारत में दिया जाता है।
हम भी मान लें मार्क्स और लेनिन के विचारों को, हम भी मूट्ठी बांधकर हवा में हाथ लहराकर बोल दें लाल सलाम पर शर्त है कि इन अंग्रेजों के विचारों से पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हिन्दुओं को भी समानता और बराबर के जिंदगी जीने का अधिकार दिला दे। और नहीं दिला सकता है तो ऐसे लाल सलाम वालों को बंद कर देना चाहिए ये रंडी भड़वा वाला नौटंकी। जब ये अन्तर्राष्ट्रीय विचारक और समाज सुधारक है तो लाल सलाम सिर्फ भारत में ही क्यों..... बांग्लादेश और पाकिस्तान, अमेरिका, जापान और ब्रिटेन में क्यों नहीं। लिखना तो बहुत कुछ चाहते हैं कि क्या था हमारा देश और क्या बना दिया चंद वोट के फायदे के लिए हमारे देश के सियासतदानों ने। और उस पर तूर्रा ये कि बची खुची कसर इस देश के सेक्युलरिज्म ने निकाल दिया।
वरना पुरी दुनियाँ में एकमात्र यही वो सनातनी हिन्दुवादी देश था जो अपने ज्ञान की रौशनी से पुरी दुनियाँ को रौशन किया। यही वो देश है जहाँ विश्व विजेता सिकंदर भी सिकश्त खाकर गया। उस वक्त इस देश में सिर्फ सनातनी या हिन्दू हुआ करता था, उस समय इंसानियत और मानवता के नाम पर ढोंग कर तलवा चाटने वाले कायर सेक्युलर नहीं हुआ करता था। जब इस आर्यावर्त की धरती पर सिर्फ सनातन था तब इतनी शक्ति थी कि अकेला सम्राट अशोक कंधार से लेकर जम्बू द्वीप तक एक विशाल देश का निर्माण किया जिसका नाम था आर्यावर्त।
और आज जैसे जैसे सनातन शक्ति को नजरंदाज किया जाता रहा वैसे वैसे देश ही नहीं देश के अन्दर भी सिमटते चले गये। आज नकली इंसानियत और मानवता के नाम पर दलाली करने वाले वामपंथियों और सेक्युलरों के कारण ही हिन्दुस्तान के अन्दर न जाने कितने पाकिस्तान और बांग्लादेश बन गया है इसका शायद यहाँ के हिन्दुओं को इसका जरा सा भी आभास नहीं है।
एक बात तय है कि जंग या युद्ध किसी भी देश के लिए या जनता के लिए सिर्फ दुख और समस्या ही पैदा करता है। गलती से भी कभी अगर पाकिस्तान के साथ युद्ध की नौबत आती है उस वक्त दिखेगा जहर से लवरेज असंख्य भारत के पेट में पलता पाकिस्तान। तब तक बहुत देर हो चुकी रहेगी और मरने या इस्लाम कबुल कर जिंदा रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं मिलेगा।
अब आइये इस चिरकुट और पुरी दुनियाँ के नमुना देश भारत में।
यहाँ विदेशी मूल के मुस्लिमों इसाईयों बिना किसी परेशानी के नागरिकता ही नहीं, पुरी सुविधा तक दे दी जाती है, वही हमारे ही देश के कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी की जिंदगी गुजारता है। यही एक ऐसा देश है जो अपने मूल नागरिकों को कुचल कर गैर देश के लोगों को अब्बल दर्जे की नागरिकता ही सिर्फ नहीं दी जाती है बल्कि उसे अपने मूल नागरिकों से ज्यादा सुविधा संपदा पर हक दे दिया जाता है। यही वो चिरकुट देश है जहाँ दोयम दर्जे वाला शान से बिना किसी रोकटोक के हर कर्म और कुकर्म करता है पर अपने ही देश के मूल नागरिक को किसी भी चीज के लिए मुँह ताकना पड़ता है, चिरोड़ी करना पड़ता है, सिफारिश करना पडता है। यही वो खिचड़ी देश है जहाँ दोयम दर्जे वाला पुरी सड़क जाम कर नमाज पढता है और मूल नागरिक को लाउडस्पीकर के आवाज का मानक तय कर बताया जाता है कि आप कितने डेसीबील तक बजा सकते हैं और कितनी देर।। यही वो गुलाम देश है जहाँ शिवाजी, महाराणा प्रताप, ज्योतिवा फूले, लाला लाजपत राय जैसे महापुरूषों के बताये रास्ते या उनके विचारों पर चलने की बजाय आज भी 80% अंग्रेजों के औलाद मार्क्स, लेनिन के विचारों से ग्रसित है।पुरी दुनियाँ में हर देश किसी न किसी धर्म से जाना जाता है पर यही वो एकलौता दोगला देश है जिसके धर्म का कोई अता पता नहीं है। न ये मुस्लिम देश है और न ये हिन्दू देश।और पता है न जिसका कोई बाप न हो तो अनाथ कहलाता है और जिसके कई बाप हो उसको दोगला कहा जाता है।पुरी दुनियाँ में है कोई ऐसा देश जहाँ दोयम दर्जे का नागरिक के लिए अलग संविधान, नियम कानुन का अधिकार दिया जाता है, पर भारत में दिया जाता है।
हम भी मान लें मार्क्स और लेनिन के विचारों को, हम भी मूट्ठी बांधकर हवा में हाथ लहराकर बोल दें लाल सलाम पर शर्त है कि इन अंग्रेजों के विचारों से पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हिन्दुओं को भी समानता और बराबर के जिंदगी जीने का अधिकार दिला दे। और नहीं दिला सकता है तो ऐसे लाल सलाम वालों को बंद कर देना चाहिए ये रंडी भड़वा वाला नौटंकी। जब ये अन्तर्राष्ट्रीय विचारक और समाज सुधारक है तो लाल सलाम सिर्फ भारत में ही क्यों..... बांग्लादेश और पाकिस्तान, अमेरिका, जापान और ब्रिटेन में क्यों नहीं। लिखना तो बहुत कुछ चाहते हैं कि क्या था हमारा देश और क्या बना दिया चंद वोट के फायदे के लिए हमारे देश के सियासतदानों ने। और उस पर तूर्रा ये कि बची खुची कसर इस देश के सेक्युलरिज्म ने निकाल दिया।
वरना पुरी दुनियाँ में एकमात्र यही वो सनातनी हिन्दुवादी देश था जो अपने ज्ञान की रौशनी से पुरी दुनियाँ को रौशन किया। यही वो देश है जहाँ विश्व विजेता सिकंदर भी सिकश्त खाकर गया। उस वक्त इस देश में सिर्फ सनातनी या हिन्दू हुआ करता था, उस समय इंसानियत और मानवता के नाम पर ढोंग कर तलवा चाटने वाले कायर सेक्युलर नहीं हुआ करता था। जब इस आर्यावर्त की धरती पर सिर्फ सनातन था तब इतनी शक्ति थी कि अकेला सम्राट अशोक कंधार से लेकर जम्बू द्वीप तक एक विशाल देश का निर्माण किया जिसका नाम था आर्यावर्त।
और आज जैसे जैसे सनातन शक्ति को नजरंदाज किया जाता रहा वैसे वैसे देश ही नहीं देश के अन्दर भी सिमटते चले गये। आज नकली इंसानियत और मानवता के नाम पर दलाली करने वाले वामपंथियों और सेक्युलरों के कारण ही हिन्दुस्तान के अन्दर न जाने कितने पाकिस्तान और बांग्लादेश बन गया है इसका शायद यहाँ के हिन्दुओं को इसका जरा सा भी आभास नहीं है।
एक बात तय है कि जंग या युद्ध किसी भी देश के लिए या जनता के लिए सिर्फ दुख और समस्या ही पैदा करता है। गलती से भी कभी अगर पाकिस्तान के साथ युद्ध की नौबत आती है उस वक्त दिखेगा जहर से लवरेज असंख्य भारत के पेट में पलता पाकिस्तान। तब तक बहुत देर हो चुकी रहेगी और मरने या इस्लाम कबुल कर जिंदा रहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं मिलेगा।
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