दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग भारत में है जहाँ औसतन आठ सौ से हजार फिल्में बनती है। भारत में भारतीय भाषाओं के अलावा हालीवुड की फिल्में भी बनती है। सबसे बड़े फिल्म उद्योग होने के कारण ही दुनिया के हर देश से कलाकार यहाँ काम करने आते हैं।
हैरत की बात है कि जिस देश के एक से एक दिग्गज कलाकारों से लेकर तकनीशियनों ने दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग बनाने का काम किया उस देश में आज कलाकार के साथ साथ तकनीशियन उस देश से आकर काम कर रहा है जहाँ उसको खाने की भी औकात नहीं है। पुरा देश कर्ज में डुबा हुआ है। जिस पाकिस्तान के बंदरगाह बिक रहे हैं उस देश के फिल्म तकनिशियन भारतीय फिल्म उद्योग को सिखाने आता है।
दर असल ये काम करने नहीं बल्कि दाउद के काले धन को सफेद भी कर रहा है साथ ही फिल्म की आड़ में भारतीय रूपया पाकिस्तान को भेजा जा रहा है..... और उन्ही पैसों से एक तरफ पाकिस्तान के भिखाड़ी का पेट भर रहा है तो दुसरी तरफ भारत के खिलाफ लड़ाई कर रहे आतंकियों के लिए गोला बारूद भी खरीद रहा है। ज्यादा से ज्यादा भारतीय रूपया पाकिस्तान जाए उसके लिए फिल्म उद्योग में हर तरह के कामों में पाकिस्तानियों को भरा जा रहा है। गीत, संगीत, गायन, कम्पोजर, संकलन, संवादक, हीरो हीरोइन, निर्देशक, निर्माता के साथ साथ कहानीकार तक...... सब जगह सिर्फ पाकिस्तानी ही भरा हुआ है। आप नई फिल्मों के कास्ट को जब देखेगें तो लगेगा कि किसी मुस्लिम देश के फिल्म का कास्ट चल रहा है। और ये सब चल रहा है अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के इशारे पर।
आज हालत ये हो गयी है कि भारतीय फिल्म उद्योग में भारतीय कलाकार ही नहीं, उपर से नीचे तक के लोग आज बेकार और बेरोजगार हो गये हैं।
आज फिल्मों में निर्देशन का काम भी वही कर रहा है जो दाउद के करीब है। कौन गायक गायिका गाना गायेगें, कथाकार कहानी क्या तैयार करेगा, फिल्मों में कौन लोग काम करेगा और कौन नहीं, ये दाउद तय करेगा।
शायद यही वजह है कि पाँच दस साल पहले वाला कलाकार आज फिल्मों में काम करने की बजाए टीवी सिरियलों और विज्ञापनों में काम करने को मजबूर हैं।
हैरत की बात है कि जिस देश के एक से एक दिग्गज कलाकारों से लेकर तकनीशियनों ने दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग बनाने का काम किया उस देश में आज कलाकार के साथ साथ तकनीशियन उस देश से आकर काम कर रहा है जहाँ उसको खाने की भी औकात नहीं है। पुरा देश कर्ज में डुबा हुआ है। जिस पाकिस्तान के बंदरगाह बिक रहे हैं उस देश के फिल्म तकनिशियन भारतीय फिल्म उद्योग को सिखाने आता है।
दर असल ये काम करने नहीं बल्कि दाउद के काले धन को सफेद भी कर रहा है साथ ही फिल्म की आड़ में भारतीय रूपया पाकिस्तान को भेजा जा रहा है..... और उन्ही पैसों से एक तरफ पाकिस्तान के भिखाड़ी का पेट भर रहा है तो दुसरी तरफ भारत के खिलाफ लड़ाई कर रहे आतंकियों के लिए गोला बारूद भी खरीद रहा है। ज्यादा से ज्यादा भारतीय रूपया पाकिस्तान जाए उसके लिए फिल्म उद्योग में हर तरह के कामों में पाकिस्तानियों को भरा जा रहा है। गीत, संगीत, गायन, कम्पोजर, संकलन, संवादक, हीरो हीरोइन, निर्देशक, निर्माता के साथ साथ कहानीकार तक...... सब जगह सिर्फ पाकिस्तानी ही भरा हुआ है। आप नई फिल्मों के कास्ट को जब देखेगें तो लगेगा कि किसी मुस्लिम देश के फिल्म का कास्ट चल रहा है। और ये सब चल रहा है अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के इशारे पर।
आज हालत ये हो गयी है कि भारतीय फिल्म उद्योग में भारतीय कलाकार ही नहीं, उपर से नीचे तक के लोग आज बेकार और बेरोजगार हो गये हैं।
आज फिल्मों में निर्देशन का काम भी वही कर रहा है जो दाउद के करीब है। कौन गायक गायिका गाना गायेगें, कथाकार कहानी क्या तैयार करेगा, फिल्मों में कौन लोग काम करेगा और कौन नहीं, ये दाउद तय करेगा।
शायद यही वजह है कि पाँच दस साल पहले वाला कलाकार आज फिल्मों में काम करने की बजाए टीवी सिरियलों और विज्ञापनों में काम करने को मजबूर हैं।
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