भारत में आये मुगल व अंग्रेज लुटेरे तो चले गए मगर देश के हिन्दुओं की नश्लें खराब कर गये।

भारत में आये मुगल व अंग्रेज लुटेरे तो चले गए मगर देश के हिन्दुओं की नश्लें खराब कर गये।

कहने को तो हिन्दुस्तान को आजाद हुए 75 साल गुजर गये, मगर मानसिक तौर पर देश आज भी गुलाम भी गुलाम ही है।

बस फर्क इतना ही है कि कल हम मुगलों व अंग्रेजों के गुलाम थे और आज हम क्षणिक स्वार्थ के गुलाम हैं। आजादी से पहले अपने स्वार्थ को पुरा करने के लिए पहले मुगलों की गुलामी की, फिर अंग्रेजों की।

मुगल काल के वक्त राजे, राजवाड़े, जमींदारों से लेकर आम जनता तक अपने स्वार्थ में इतने अंधे हो चुके थे कि उन्हें अपने देश की बर्बादी नहीं दिखा। किसी ने अपने राज्य को बचाने तो किसी ने अपने ही पड़ोसी राज्य पर कब्जा करने तो किसी ने अपनी जमींदारी बचाने के लिए पहले विदेशी लुटेरे मुगलों से सहायता लेकर गुलाम बना। और ये सिलसिला लगातार भारत में अंग्रेजों के पदार्पण तक चलता रहा।

मुगल काल में ठगे जाने, देश व राज्य को लुटवा कर खोखला करवाने के बाद भी भारत के हिन्दुओं ने कोई सबक नहीं लिया और लग गये मुगल के बाद अंग्रेजों की गुलामी करने। मुगल शासकों के लूट खसोट के बाद देश में कुछ बचा ही नहीं था। सारे कीमती सामान, सोने चांदी तो मुगल शासक लूट ले गये। बाकी बचे देश पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया।

मुगलों ने भारत के मंदिरों को लुटा, मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण किया, कायर हिन्दुओं का धर्मांतरण कराकर उन्हें मुस्लिम बनाया। जो इस्लाम कबुल नहीं किया उनकी सामुहिक हत्याएं की... बाबजूद हिन्दुओं में एकता की लौ नही जली। एक दुसरे को लुटता मरता देखता रहा मगर एकजूट होकर मुगलों का सामना नहीं किया।

उस वक्त भारत का हिन्दु मुगलों का विरोध किया होता तो पड़ोसी राज्य न लुटे जाते, न मंदिरें लुटी जाती, न मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाये गये होते और न हिन्दुओं की हत्याएं हुई होती।

भारत में आये मुगल व अंग्रेज लुटेरे तो चले गए मगर देश के हिन्दुओं की नश्लें खराब कर गये।

भारत में आये मुगल व अंग्रेज लुटेरे तो चले गए मगर देश के हिन्दुओं की नश्लें खराब कर गये।

आज भी वही नश्ल देश को पुनः मुगल काल में ले जाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। कल भी हिन्दुओं के लुटते पिटते की घटना को तमाशबीन बनकर देखते रहे और आज भी हिन्दु अपने इतिहास को दुहरा रहा है। कल तो अपने फायदे के लिए अंग्रेजों व मुगलों की गुलामी किया था और आज सेक्युलरिज्म की आड़ में अपने राजनैतिक पार्टियों व राजनेताओं को खुश करने के लिए तमाशबीन बना हुआ है। आज का हिन्दु अपने या अपने परिवार के लिए नहीं बल्कि नेताओं व नेताओं के परिवार, उसकी आने वाली पीढ़ियों के खुशहाली के लिए तमाशबीन बना हुआ है। पड़ोस के घर को मुसलमान कब्जा कर रहा है, हिन्दुओं की हत्याएं कर रहा है, हिन्दू लड़कियों को लव जेहाद का शिकार बना रहा है, मगर स्वार्थ में डुबे पड़ोसी हिन्दुओं को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है..... क्योंकि वो मुसलमानों के मक्कारी का शिकार नहीं बना है। जब तक भारत के धूर्त, मक्कार, जेहादी मुसलमान सेक्युलरों के साथ, उसके बहु बेटियों का शिकार नहीं बनाता है तब तक भारत हिन्दु इंसानियत, मानवता, प्रेम भाईचारा, हिन्दु मुस्लिम भाई भाई जैसे गुलामी की गीत पर सेक्युलरिज्म जैसे मुजरा करता रहता है। जब गजबा ए हिन्द का सपना पाले भारत का मुसलमान काफिर बोलकर इन सेक्युलरों पर हमला करता है तब वही सेक्युलर खुद को हिन्दु विधवा विलाप करने लगता है। 

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