कुरितियों से निर्मित मानव
हम आज ये बात कहते नहीं थकते हैं कि आज इंसान बहुत तरक्की कर गया है। घर घर शिक्षित हो गये हैं। पहले की अपेक्षा आज इंसान समझदार ही नहीं अति विकासशील भी हो गया है। बड़े बड़े विश्वविद्यालयों में महंगी महंगी किताबें पढ़कर कहने को तो उच्च शिक्षित हो गया। बड़े बड़ पदों पर आसीन हो गया पर हकीकत ये है कि जितनी बार बड़े और बड़ी जैसे शब्द जुड़ते गये इंसान उससे दुगुनी रफ्तार से गिरता चला गया। हमारे समाज में वर्षों से कुरितियाँ, अंधविश्वास, पाखंड चलता आ रहा है। अन्तर बस इतना है कि पहले लोग अनपढ़ हुआ करते थे, आज उच्च शिक्षित हो गये हैं। मगर समाज में फैली गंदगी हजारों सालों से सीना तानकर उच्च शिक्षित और विकसित इंसानों पर अट्टाहस कर मजाक उड़ा रहा है।
कल उँच नीच छुआ छूत जातिप्रथा बालविवाह जैसे कुरितियों से आकंठ डुबे हुए थे और आज दहेजप्रथा, राजनैतिक लाभ के लिए आरक्षण जैसे कुरितियों में डुबे हुए हैं। एक तरफ जहाँ समाज में अपने को श्रेष्ठ और उँचा होने का दिखावा व आवंडर दिखाने के लिए दहेज के नाम पर एक इंसान दुसरे इंसान का खून पीता है तो दूसरी ओर आरक्षण के नाम पर काबिलियत को कुचल कर नाकाबिलों को आगे बढ़ाने का खेल खेला जा रहा है।
हैरत की बात ये है कि आज पढ़ा लिखा और समझदार इंसान होने के बाद भी इन जघन्य कुरितियों का आंखें बंद कर समर्थन करता है।
सबसे बड़ी बिडम्बना ये है कि भारत जैसे विकसित देश, जहाँ की काबिलियत पुरी दुनियाँ में अपना लोहा मनवा चुका है, आज हर क्षेत्र में शिखर पर अपना झंडा बुलंद कर रहा है उस देश के अन्दर बाल विवाह, दहेज और आरक्षण जैसे राक्षश खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। वजह सामाजिक और राजनैतिक फायदे ने यहाँ के ज्ञान और इंसानी सोंच को कुचल कर रख दिया है।
कल उँच नीच छुआ छूत जातिप्रथा बालविवाह जैसे कुरितियों से आकंठ डुबे हुए थे और आज दहेजप्रथा, राजनैतिक लाभ के लिए आरक्षण जैसे कुरितियों में डुबे हुए हैं। एक तरफ जहाँ समाज में अपने को श्रेष्ठ और उँचा होने का दिखावा व आवंडर दिखाने के लिए दहेज के नाम पर एक इंसान दुसरे इंसान का खून पीता है तो दूसरी ओर आरक्षण के नाम पर काबिलियत को कुचल कर नाकाबिलों को आगे बढ़ाने का खेल खेला जा रहा है।
हैरत की बात ये है कि आज पढ़ा लिखा और समझदार इंसान होने के बाद भी इन जघन्य कुरितियों का आंखें बंद कर समर्थन करता है।
सबसे बड़ी बिडम्बना ये है कि भारत जैसे विकसित देश, जहाँ की काबिलियत पुरी दुनियाँ में अपना लोहा मनवा चुका है, आज हर क्षेत्र में शिखर पर अपना झंडा बुलंद कर रहा है उस देश के अन्दर बाल विवाह, दहेज और आरक्षण जैसे राक्षश खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। वजह सामाजिक और राजनैतिक फायदे ने यहाँ के ज्ञान और इंसानी सोंच को कुचल कर रख दिया है।

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