शर्म आती है पटना विश्वविद्यालय के कथित छात्र नेताओं पर, जिसने विश्वविद्यालय के गरीमामयी इतिहास को गंदा कर रखा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा न देकर एक प्रतियोगिता के तहत देश के टॉप 20 में आने का जो मार्गदर्शन कर के गये उस पर वही लोग अपना गला फाड़ रहे हैं जो लाखों लेकर डिग्रियां बेचते हैं और जिनको हर चीज हराम में खाने की आदत है।
है हिम्मत तो पटना विश्वविद्यालय ही नहीं पुरे बिहार को ऐसा बनाकर दिखाओ कि पटना विश्वविद्यालय भारत के टॉप 20 ही नहीं, बल्कि दुनिया के 500 विश्वविद्यालयों के समुह में शामिल हो जाए।
जिस विश्वविद्यालय में चिरकुटिये छात्र नेताओं द्वारा आये दिन धरना प्रदर्शन, तोड़फोड़ और आगजनी कर के पढ़ाई को बंद कराया जाता हो, शिक्षकों के साथ मारपीट किया जाता हो उस विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय क्या बिहार के टॉप विश्वविद्यालय भी बोलने में शर्म आती है।

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